शनिवार, 23 जुलाई 2016

मायावती का देवत्व

       बड़ी ही ख़ुशी की बात होती है जब कोई भी व्यक्ति की पदोन्नति हो जाती है। अभी हाल की ही बात है कि एक पार्टी की मुखिया की भी पदोन्नति हो गयी। अब वो इंसानी रूप से आजाद हो गयी है और देवत्व को प्राप्त होकर देवी बन गयी है। उनके स्वरुप को देखते ही बनता है। उनकी चौमुखी अदभुत छवि की तो बात ही नाराली है। ऐसा ही कुछ चल ही रहा था कि बीच में एक मोड़ आ गया और देवी की गरिमा को चैलेन्ज कर दिया एक अदने से आदमी ने। इस रूहानी देवी की गरिमा के खिलाफ और देवी होने की बात को निखालिस कर दिया और सब के बीच देवी को बिकनेवाली बता दिया वो भी देशी भाषा में। भला तो तब जब देवी जी न खुद ही संज्ञान में ले लिया और अपने देवी होने की बात माननीयों को बतायी।  हलाकि उन्होंने जारी प्रमाण पात्र किसी को नहीं दिखाया और न ही सरकार ने माँगा। आखिर प्रजा तंत्र है कोई भी कुछ भी बन सकता है और कुछ भी कर सकता है और तो और कुछ भी बोल सकता है । बस यही पर दया शंकर सिंह रूपी इंसान धोखा खा गया। अपनी तरह का इंसान समझकर उसने मायावती के मानवता रूप को चैलेंज दे दिया और बता दिया कि वो भी देशी भाषा में विश्लेषण करके।

        अब देवी स्वरूपा को कुछ कहा जाये वो भी देशी भाषा में तो कैसे बर्दास्त होगा। शुरु हो गया देवी का तांडव। संसद सहित उनके पुजारी, अनुयायी, भक्तजन, कारिंदे और सभी वो जो इनके देवत्य के आगे नत मस्तक थे।  सभी ने सुबह से ही दया शंकर सिंह की बेटी, पत्नी, माँ, बहनों सहित वो सभी जो इनसे सम्बंधित महिलाएं थीं, सभी को जी भरकर पानी पी-पी कर लाऊड स्पीकर से गोलियों की जगह गालियाँ बरसानी शुरु कर दी। देवी के मुख्य पण्डों ने अपने नम्बर बढाने के लिए एक से एक अच्छी गाली देशी स्वरूप के साथ दी। अब तो देवी का तांडव भी सभी ने देखा। तथाकथित देवी जी ने बताया कि देवी के अपमान के कारण ही हमारे पांडा-पुजारी-भक्तजनों ने प्रतिशोध के कारण ऐसा किया।

एक तरफ गरीबो की देवी थी तो दूसरे तरफ सिंह साहब की बेटी, पत्नी, माँ और बहन या फिर जो भी उनके परिवार में महिलाएं रही हो। अब बारी थी शासन और प्रशासन की। अँधा बहरा होता ही है शासन।  इसे तो कुछ लोग अपने ढंग से चलते है।  उनको न तो देवी के अपमान में कोई गलती दिखाई दी और न ही दया शंकर के परिवार की स्त्रियों के अपमान में। यानि सब को बराबर की द्रष्टि से देखता है। माया ने तो कहा प्रतिशोध में कह दिया होगा। अब दया शंकर की पारिवारिक महिलाएं अब क्या करें? शासन-प्रशासन तो इसी का इन्तजार ही कर रहा था। उसने उस दिन भी एक रिपोर्ट लिखी औरदूसरे दिन भी रिपोर्ट लिखी। क्या होगा ये तो इंसान रूपी भगवान् ही जाने। लेकिन तथाकथित देवी भक्तों को सोचना चाहिए यदि कोई उनका भी कोई है अगर उन्हें कोई कुछ कहे तो कैसा लगेगा?   


दया शंकर का अफ़साने में मायावती

अभी हाल में भजपा के एक उपाध्यक्ष ने मायावती के लिए कुछ राजनीतिक टिप्पणी कर दी। उस बेचारे दयाशंकर को ही नहीं बल्कि हमें और तुम्हे सहित किसी भी को नहीं मालूम होगा कि आखिर मायावती अब वो मायावती नहीं बल्कि देवी में परिवर्तित हो चुकी है(मायावती के बयान अखबार के अनुसार)। यानि अब मायावती मानव रूप से देवी में परिवर्तित हो चुकी है। उस बेचारे दया शंकर जो अज्ञानी होकर या जन-बूझकर ये तो वही जाने, लेकिन टिप्पणी देशी भाषा में कर बैठा। लो भैया फिर तो जानते ही हो आप इस देश में देवी रूप का कितना मान-पान है। ये हिन्दुओ के देश में किसी भी देवी चाहे वो उच्च वर्ग की हो या पिछड़े वर्ग की, सभी का बराबर सम्मान है। लेकिन आज-कल राज-काज में कहे या देश के वोटो के रूप में कहें "इनका विशेष महत्त्व" को रेखांकन किया जा रहा है। ऐसे में कभी देश और राज्य की सत्ता नशीन रही देवी को कुछ कोई कहेगा तो क्या होगा, ये सभी जानते ही होगे। बुरा फस गया बेचारा दया शंकर।

            अब दयाशंकर ने कितनी और कैसी-कैसी देशी भाषा में क्या-क्या कहा मुझे तो नहीं मालूम, लेकिन सत्य यही है कि आपको भी नहीं मालूम होगा। आखिर उसने अपनी कामयाबी के लिए या फिर मौके के हिसाब से या फिर चौतरफा प्रसंशा के लिए देवीजी(मायावती के अनुसार) के भजन किया।  अब तथाकथित देवी जी (मायावती के अनुसार) के समर्थकों ने (वैसे इन्हें भक्तजन कहा जाए तो भी बुरा नहीं होगा।) बड़े -बड़े खूब शोर मचाने वाले भोपूओं से दया शंकर व उसकी माँ, बहन, बेटी, पत्नी सहित परिवार के लिए जिस तरह से देशी भाषी तराने का इस्तेमाल किया (उसे भले लोग अपनी भाषा में गाली कहते है।) वो काबिले तारीफ था। दया शंकर को भी उम्मीद नहीं होगी कि तथाकथित देवी भक्तजन ऐसा भजन गायेगे जो आस-पास के सुनने वालों को भी शर्मिंदा कर देगा तो वो ऐसी गलती नहीं करता।


            पूरे के पूरे मिडिया ने तथाकथित देवी जी के बारे में कहे गए वाक्य को उछाला गया, लेकिन भक्तजनों के द्वारा गए गए देशी भजनों को कितना सज्ञान मिडिया लेगी, कितना सरकारी महकमे तरजीह देगे या देश की जनता जवाब देगी ये तो वख्त ही बताएगा। सरकार, देश, अदालत, जनता, नेता, तथाकथित देवी व् देवता सभी को सोचना चाहिए आखिर दया शंकर के माँ, बहन, बेटी व पत्नी भी तो भारतीय परिवेश में देवी ही होती है न की केवल ये मायावती। अज्ञानतावश एक व्यक्ति अगर गलती करता है तो सभी को गवार-गर्दा नहीं हो जाना चाहिए। अगर सरकार या प्रशासन सज्ञान में लेकर इन देवी भक्तों को भी बता सकती की इंसानियत के लिए मायावती अगर देवी है तो दयाशंकर के घर की सभी स्त्रियाँ भी देवी ही है। तथाकथित देवी(मायावती) भक्त सयम बरतते तो समझा जाता कि वाकई वे कोई देवी भक्त है। वरना ये सब भी वोटो के सरगना।